Special session meeting of Parliament 2023: संसद के विशेष सत्र के दौरान, कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई, जिसमें महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी गई। इसके परिणामस्वरूप, अब यह विधेयक संसद के विशेष सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा। इस पूर्व, सोमवार की शाम 6.30 बजे, कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई, जो संसद की एनेक्सी बिल्डिंग में हुई। इस दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला आरक्षण विधेयक पर विस्तार से चर्चा की गई, और कैबिनेट द्वारा इसे मंजूर किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ, इस बैठक में और भी कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने भाग लिया, जैसे कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, रेल मंत्री पीयूष गोयल, सांसद प्रह्लाद जोशी, विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कृषि मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, और युवा केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल शामिल थे। यह संसद सत्र 18 सितंबर 2023 से 20 सितंबर 2023 तक चलेगा, और सत्र की घोषणा के बाद से ही इसमें महिला आरक्षण विधेयक और अन्य महत्वपूर्ण विधेयकों को प्रस्तुत करने की चर्चा चल रही थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संसद में दिए गए भाषण के दौरान ही इस संकेत का दिया था कि सरकार महिला आरक्षण बिल को लाने की दिशा में कदम बढ़ाएगी। CWC बैठक के भाषण में सोनिया गांधी ने भी मोदी सरकार से महिला आरक्षण बिल को लाने की मांग की थी। तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर भी इस विधेयक का समर्थन कर चुके हैं। बीते दिन सर्वदलीय बैठक में भी विपक्ष और सत्ता पक्ष के कई दलों ने इसे समर्थन दिया, इसका मतलब है कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर एक साथ काम करने की दिशा में एक गहरी सहमति है।
Special session meeting of Parliament 2023 महिला आरक्षण विधेयक के बारे में जानिए
Special session meeting of Parliament 2023: महिला आरक्षण विधेयक में यह प्रावधान है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाएं। इस विधेयक का उद्देश्य लैंगिक समानता और समावेशी शासन को प्रोत्साहित करना है, लेकिन यह बहुत देर से पारित होने का इंतजार कर रहा है।
महिला आरक्षण विधेयक में यह प्रावधान है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाएं। इस विधेयक का उद्देश्य लैंगिक समानता और समावेशी शासन को प्रोत्साहित करना है, लेकिन यह विधेयक बहुत लंबे समय से अधर में लटका हुआ है।
महिला आरक्षण विधेयक में अहम बातें
यह विधेयक पहली बार 12 सितंबर 1996 को संसद में पेश किया गया था, जब संयुक्त मोर्चा सरकार के तहत एचडी देवेगौड़ा नेतृत्व में। इसका मुख्य उद्देश्य था कि लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाएं। आरक्षण के मानदंड के अनुसार, सीटें रोटेशन के आधार पर आरक्षित की जानी थी, और सीटों का निर्धारण ड्रा के माध्यम से होता।
वाजपेयी सरकार ने इस विधेयक के पक्ष में जोरदार समर्थन दिया, लेकिन फिर भी इसे पारित नहीं किया जा सका। बाद में, कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए एक सरकार ने मई 2008 में इस विधेयक को पुनः पेश किया।
राज्य सभा ने इस विधेयक को नौ मार्च 2010 को पारित किया, लेकिन अभी तक यह लोकसभा से पारित नहीं हुआ है। इसके बावजूद, यह विधेयक महिलाओं के सामाजिक और राजनीतिक आदिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में जाना जाता है, और इसका पारित होना एक महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
कल सुबह 11 बजे, सदनों के सदस्य एकजुट होंगे।
राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी ने दोनों सदनों के सदस्यों से अनुरोध किया है कि वे भारतीय संसद की समृद्ध विरासत को मनाने के लिए एकजुट हों। उन्होंने कहा कि सभी सदस्यों को 2047 तक देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेने के लिए कल, यानी 19 सितंबर को सुबह 11 बजे, संसद के केंद्रीय कक्ष में इकट्ठा होने का प्रस्ताव दिया है।
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